Tum apne logo se yun milte ho – Sarwat Hussain

तुम अपने लोगों से यूँ मिलते हो जैसे उन लोगों से मिलना फिर नहीं होगा _सरवत हुसैन

तुम अपने लोगों से यूँ मिलते हो,

जैसे उन लोगों से मिलना फिर नहीं होगा

~सरवत हुसैन

Tum apne logo se yun milte ho…
Jaise un logo se milna fir hoga nahi!!

— Sarwat Hussain

Wo mujhe chhod ke ek shaam gaye the…

वो मुझे छोड़ के इक शाम गए थे,

ज़िंदगी अपनी उसी शाम से आगे न बढ़ी

~हकीम नासिर

Wo mujhe chhod ke ek shaam gaye the,
Zindagi apni usi shaam se aage na badhi!


One of the famous poet & hakeem, Hakeem Nasir famous hear touching shayari : Wo mujhe chhod ke ek shaam gaye the. Hindi Shayari, Love Shayari

Ab ke hum bichde to shayad kabhi…

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें,

जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

Ab ke hum bichde to shayad kabhi khwaab mein milein,
Jis tarah sookhe huye fool kitaabon mein milein

Saara khel “Apnepan” ka hai…

सारा अपनेपन का ही खेल है, वरना कितने अजनबी लोग हैं जिनकी हम फिक्र करते हैं?

Saara khel “Apnepan” ka hai!! warna kitne ajnabee log hain jinki hum fikr karte hain?

Jab Chot, Dard aur Apmaan niji hote hai…

चोट, दर्द, और अपमान….जब निजी हो…तो ही समझ आते है..!!

Jab Chot, Dard aur Apmaan niji hote hai…Tabhi Samajh Aate Hai!! Ye baat wahi samajh sakta hai jiske saath hui ho yaa beeti ho. Bahut dard deta hai ye sab…

Itni berukhi se kyun pesh aa rahe ho?

इतना बेरुखी से क्यों पेश आते हो,

हमे हक़ न सही लेकिन इश्क तो है !

Itni berukhi se kyun pesh aa rahe ho?Humein haq na sahi lekin Ishq to hai!! Bahut bura lagta hai jab koi apni itni berukhi se pesh aata hai.

Jab tak hum kaamyaab nahi hote log madad nahi karte…

जब तक हम कामयाब नहीं होते लोग मदद नहीं करते,

और कामयाब हो जाने पर हमें मदद की ज़रूरत नहीं रह जाती

Jab tak hum kaamyaab nahi hote log madad nahi karte
Aur kaamyaab ho jaane par humein madad ki jaroorat nahi hoti

Jab milunga kya kahunga khud ko khud se…

सोचता हूं जब मिलूंगा खुद से..??

फिर क्या कहूंगा मैं खुद को खुद से..!!

कभी कभी सोचता हूँ इश्क़ के चक्कर में जो कुछ खो चुका हूँ उसकी भरपाई शायद ज़िन्दगी भर नहीं कर पाउँगा। अब तक जो भी कोशिश रही मेरी मैंने सब कुछ भुला कर उसको पाने की कोशिश की लेकिन अब मुझे खुदको पाना है और डर लगता है कि जब कभी मेरी खुद से मुलाक़ात होगी क्या कहूंगा मैं खुद को ??

Kai Jhoothe Ikatthe ho to saccha toot jaata hai

यहां मजबूत से मजबूत लोहा टूट जाता है,

कई झूठे इकट्ठे हो तो सच्चा टूट जाता है

झूठ… झूठ… झूठ… अब नफरत हो गयी है झूठ से। सब तो ख़त्म कर दिया इस झूठ ने। कितना पागल था में जो उसके झूठ में हमेशा आता चला गया। हर बार सब जानते हुए भी सब समझते हुए भी… आजकल लोग सिर्फ अपना फायदा देखते हैं फिर किसी के साथ क्या हो रहा है कुछ फर्क नहीं पड़ता।

मेरी सबसे बड़ी गलती ये रही है उसके हर एक झूठ को उसकी नादानी समझकर भूलता रहा और अब हालात ये हैं की खुद ही भूल गया हूँ।

Kya kahun? Kis se kahun? Aur Kyu Kahun?

क्या कहूं मैं किससे कहूं मैं कब कहूं

क्या कहूं मैं

किससे कहूं मैं

कब कहूं मैं

और अब क्यूं कहूं मैं की तुमसे इश्क़ हैं मुझे..!!

बहुत सारी बातें हैं जो कहनी है, बहुत सारे सवाल हैं जो पूछने है, बहुत सारी बातें जो सुननी हैं तुमसे
लेकिन ये दूरी ने सब ख़त्म कर दिया काश…

इश्क़ आज भी उतना ही है तुमसे और मुझे ज़रा भी संकोच नहीं ये स्वीकार करने में कि मैं आज भी बेइंतेहा इश्क़ करता हूँ और रोज़ यही प्रार्थना करता हूँ कि तुम मेरा आखिरी इश्क़ रहो मेरी आखिरी साँस तक