उसे ज़िंदगी और ज़िंदगी के बीच
कम से कम फ़ासला
रखते हुए जीना था
यही वजह थी कि वह
एक की निगाह में हीरा आदमी था
तो दूसरे की निगाह में
कमीना था।— धूमिल
Shayari
Abhi Ganimat Hai Sabr Mera…
अभी ग़नीमत है सब्र मेरा, अभी लबालब भरा नहीं हूं
वो मुझको मुर्दा समझ रहा है, उसे कहो मैं मरा नहीं हूं
Abhi Ganimat Hai Sabr Mera, Abhi Lavalab Bhara Nahi Hun,
Wo Mujhko Murda Samajh Raha Hai, Use Kaho Mein Mara Nahi Hun.
वो कह रहा है कि कुछ दिनों में मिटा के रख दूंगा नस्ल तेरी
है उसकी आदत डरा रहा है, है मेरी फितरत डरा नहीं हूं
Wo Keh Raha Hai ki Kuch Dino Mein Mita Ke Rakh Doonga Nasl Teri,
Hai Uski Aadat Dara Raha Hai, Hai Meri Fitrat Dara Nahi Hun.
आज हम दोनों को फ़ुर्सत है चलो इश्क़ करें
इश्क़ दोनों की ज़रूरत है चलो इश्क़ करें
Aaj Hum Dono Ko Fursat Hai Chalo Ishq Karein,
Ishq Dono Ki Jarurat Hai Ishq Karein.
इसमें नुकसान का ख़तरा ही नहीं रहता है
ये मुनाफे की तिजारत है चलो इश्क़ करे
Ismein Nuksan Ka Khatra He Nahi Rehta Hai
Ye Munafe Ki Tizarat Hai Chalo Ishq Karein
आप हिंदू, मैं मुसलमां, ये इसाई, वो सिख
यार छोड़ो ये सियासत है, चलो इश्क़ करें
हाथ ख़ाली हैं तिरे शहर से जाते जाते
जान होती तो मिरी जान लुटाते जाते
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते
रेंगने की भी इजाज़त नहीं हम को वर्ना
हम जिधर जाते नए फूल खिलाते जाते
मैं तो जलते हुए सहराओं का इक पत्थर था
तुम तो दरिया थे मेरी प्यास बुझाते जाते
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते
– राहत इंदौरी (By Rahat Indori)
(1 जनवरी,1950–11 अगस्त,2020)
This post dedicated to Indian Cricketer Wicket Keeper Left Handed Batsman Rishabh Pant’s Innings with Chennai Super Kings. This beautiful and brave knock came after coming back from the death incident.
Well Done Rishabh Pant.
Listen other’s problems with attention
अगर कोई तुम्हें अपनी तक़लीफ़ बताए तो ध्यान से सुनो,
क्योंकि आप सिर्फ़ सुन रहे हो, वह महसूस कर रहा है।
OR
If someone tells you his problem, listen carefully.
Because you are just listening, he is feeling.
Gham Aur khushi Me Fark Na Mehsoos Ho Jahan…
Gham Aur khushi Me Fark Na Mehsoos Ho Jahan… a one of the famous poetry from the famous Poet / Shayar Sahir Ludhiyanvi.
ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ
मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया
– साहिर लुधियानवी
We need to learn how to calm on top of setbacks and achievements. Good times and bad times will come and go but we need to go beyond that. Type of time whether it is good or bad should not bother us in any way. It is not a one-day thing to achieve that kind of mindset but we have to practice daily. Only 1% of improvement will tend us to give drastic change.
Aap Is Dil Ki Ada Se, Abhi Wakif Hee Nahi – Safeeq Barelvi
आप इस दिल की अदा से,
– शफ़ीक़ बरेलवी
अभी वाक़िफ़ ही नहीं
जल तो जाता है मगर,
ख़ाक नहीं हो सकता
Aap Is Dil Ki Ada Se,
~ Safeeq Barelvi
Abhi Wakif Hee Nahi,
Jal To Jata Hai Magar,
Khaak Nahi Ho Sakta.
Tum the, Mein Tha Waqt Nahi – Gulzar
तुम थे, मैं था, वक्त नहीं,
Gulzar
मैं था, वक्त था, तुम नहीं,
तुम थी, वक्त था, मैं नहीं,
वक्त रहेगा, मैं नहीं, तुम नहीं !
Tum The, Mein Tha, Waqt Nahi
Gulzar
Mein Tha, Waqt Tha, Tum Nahi,
Tum Thi, Waqt Tha, Mein Nahi,
Waqt Rahega, Mein Nahi, Tum Nahi!
Khud Ko Itna Sawaarna Hai ki – Gulzar
खुद को इतना सवारना है की…
Gulzar
पाने वाले को क़दर हो और खोने वाले को अफ़सोस ..!
Khud Ko Itna Sawaarna Hai ki…
Gulzar
Paane Wale ko Kadar Ho Aur Khone Wale ko Afsos…!!
Mohabbat Rahi Chaar Din Zindagi Me – Anwar Shuoor
किया बादलों में सफ़र, ज़िन्दगी भर
~ अनवर शऊर
ज़मीं पर बनाया ना घर, ज़िन्दगी भर
मोहब्बत रही चार दिन ज़िन्दगी में
रहा चार दिन का असर, ज़िन्दगी भर
Kiya Baadalon Me Safar, Zindagi Bhar
Zameen Par Na Banaya, Zindagi Bhar
Mohabbat Rahi Chaar Din Zindagi Me
Raha Chaar Din Ka Asar, Zindagi Bhar
~ Anwar Sauoor
Hoshiyaari Noch Legi Saare Khwaab…
होशियारी नोच लेगी सारे ख़्वाब
लुत्फ़ जो भी है वो नादानी में है।
~ मदन मोहन दानिश
Hoshiyaari Noch Legi Saare Khwaab…
Lutf Jo Hai Wo Nadani me hai!
~ Madan Mohan Danish
Hum to samjhe the bhool gaye unko…
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया,
बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया||
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को,
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया||
किस लिए जीते हैं हम किस के लिए जीते हैं,
बारहा ऐसे सवालात पे रोना आया ||
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त,
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया ||
By – SAHIR LUDHIANVI
पुस्तक : Kulliyat-e-Sahir Ludhianvi (पृष्ठ 417)रचनाकार : SAHIR LUDHIANVIप्रकाशन : Farid Book Depot (Pvt.) Ltd
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