प्रेम कहता है मैं हूँ ना, निराश मत होना

प्रेम कहता है मैं हूँ ना, निराश मत होना

एक समय ऐसा आता है,
आप निराश हो चुके होते हैं…
रिश्तों से, लोगों से, जीवन से, सबसे,
यहां तक कि ईश्वर से भी…
तभी; बड़े धैर्य के साथ आता है
‘प्रेम’ आपका माथा चूम के ये कहने कि…
मैं हूं ना!